चलों चलतें हैं ।

चलों सफर पर हम चलतें हैं,
यादों को संग ले चलतें हैं।
चलों सफर पर हम चलतें हैं।
कुछ मीठे सपनों की गठरी,
कुछ मधुर स्मृतियों की गठरी,
संग हम अपनें ले चलतें हैं,
चलों सफर पर हम चलतें हैं।
अपनों के संग,सपनों के रंग,
कोरे कागज पर भरते हैं।
चलों सफर पर हम चलतें हैं।
चलों चलें उस पथ पर संगी,
जहाँ खिले हों,खुशी के फूल,
फूलों की खुशबु में खोकर,
कुछ अच्छे पल को जीते हैं,
चलों सफर पर हम चलतें हैं।
हर चेहरा कुछ ऐसा दमके,
जैसे सुबह की खिलती धूप,
खीली-खीली उस धूप में संगी,
कुछ पल हम संग-संग जीते हैं।
चलों सफर पर हम चलतें हैं।
मंद पवन की बहती बयारें,
मन को छूकर जब हैं गुजरती,

मंद पवन के बहतें प्रवाह में,
मन तब यौवन में खो जाता,
उस यौवन के मधुर क्षणों को,
संगी हम-तुम संग जीते है,
चलों सफर पर हम चलतें हैं।
चलों उतार देते हैं आवरण,
जिसमें दम घुटने लगता हैं।
मन की खुशियों को चेहरे पर,
ले आएं चलों मन करता है।
कुछ पल शेष है इस जीवन के,
चलों आज इसको जीते हैं।
चलों सफर पर हम चलतें हैं।
यादों को संग ले चलतें हैं।
चलों सफर पर हम चलतें हैं।


तारीख: 10.04.2024                                    हिमांशु पाठक









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