चुप है आसमान ये सारा
चुप सा है हर इक तारा
गूम हो चले हम भी इस खामोशी में
क्यूँ चुप हो गया जहां ये सारा
रात की आगोश में हम थे
और थका हुआ था शशि बिचारा
जाने किस वक़्त स्नेह वो टुटा
और चुभ गया वो छण वो सारा
डूबने को ही थे
नींदों के भंवर में..
की बह चला आँखों से
एक ख्वाब हमारा।