देखें ज़रा क्या पैगाम आता है

देखें ज़रा क्या पैगाम आता है
ज़हर या फिर  ज़ाम आता है ।
चराग जो जला है आंधियों में
हवाओं से भी सलाम आता है ।
जाने  क्यों जल जातें हैं लोग
  ज़िक्र में जब वो नाम आता है ।
सुख में सब आते  हैं बिन कहे
  दुख में बस आँसू काम आता है ।
तेरी शायरी को अजय क्या कहें
जैसे मेढकी को जुकाम आता है ।
 


तारीख: 19.03.2024                                    अजय प्रसाद




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