देखें ज़रा क्या पैगाम आता है
ज़हर या फिर ज़ाम आता है ।
चराग जो जला है आंधियों में
हवाओं से भी सलाम आता है ।
जाने क्यों जल जातें हैं लोग
ज़िक्र में जब वो नाम आता है ।
सुख में सब आते हैं बिन कहे
दुख में बस आँसू काम आता है ।
तेरी शायरी को अजय क्या कहें
जैसे मेढकी को जुकाम आता है ।