हम मिल ही जायेंगे

हम मिल ही जायेंगे

ख़ाक में पैदा हुए है ख़ाक में मिल जायेंगे,

मुख़्तलिफ़ हुए जो सुबह रात में मिल जायेंगे |

 

मुझको तुम याद रखना अपने तस्व्वुर में सदा,

हम हक़ीकत में ना सही तो ख़्वाब में मिल जायेंगे |

 

वो ख्वाहिशों का आलम वो शगुफ़्ता ख्याल मेरे,

नज़र में मेरी या अश्क़-ए- आब में मिल जायेंगे |

 

मेरी ख़ुश्बू तुम अपनी जेहन में बिठा लो,

किसी सुखे फूल से क़िताब में मिल जायेंगे |

 

मेरा तार्रुफ़ पूछना तुम अपनी महफिलों में,

शर्त है किसी न किसी ज़नाब में मिल जायेंगे |


तारीख: 20.02.2024                                    विवेक द्विवेदी









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