हम मिल ही जायेंगे
ख़ाक में पैदा हुए है ख़ाक में मिल जायेंगे,
मुख़्तलिफ़ हुए जो सुबह रात में मिल जायेंगे |
मुझको तुम याद रखना अपने तस्व्वुर में सदा,
हम हक़ीकत में ना सही तो ख़्वाब में मिल जायेंगे |
वो ख्वाहिशों का आलम वो शगुफ़्ता ख्याल मेरे,
नज़र में मेरी या अश्क़-ए- आब में मिल जायेंगे |
मेरी ख़ुश्बू तुम अपनी जेहन में बिठा लो,
किसी सुखे फूल से क़िताब में मिल जायेंगे |
मेरा तार्रुफ़ पूछना तुम अपनी महफिलों में,
शर्त है किसी न किसी ज़नाब में मिल जायेंगे |