झुलसी पत्तियां

झुलसी पत्तियां , तपती भू
लेती जान सबकी लू
देखें आसमान को तरसती आंखें,
अब तो बरसों सावन आ के,
देख यह तड़पन,
आए जब सावन राजा,
उमड़ -घुमड़ कर बादल बजाएं नगाड़ा,
स्वागत में बरसे अमृत धारा,
देख घनघोर घटाएं,
जीव-जंतु  भी नवयौवन पाएं,
धानी चादर ओढ़ धरा  भी इतराएं,
अंबर में निकला इंद्रधनुष देख -
मन बच्चा बन जाएं,
चिड़िया भी अब मधुर गीत है गाएं,
रचा मेहंदी हाथों में,
हम भी तीज बनाएं,
हरी -हरी चूड़ियां से कर श्रृंगार,
पिया के मन को भाएं,
अमिया की डाली पर झूलों की सेज लगाएं,
पीहर की यह सावन फिर याद दिलाएं,
मिलकर सब सावन के गीत है गाएं,
घेवर से दिलों में मिठास बढ़ाएं,
श्रवण मास में शिव  भक्ति  के रंग में रंग जाएं,
जयकारा वीर बजरंगे हर -हर महादेव का लगाएं,
नाग पंचमी का त्यौहार मिलकर सब बनाएं,
सजा राखी भाई की कलाई में,
सावन प्रेम का परिचायक बन जाएं,
ऐसे  सावन राजा के आगे सब नतमस्तक हो जाएं।।
 

 


तारीख: 26.02.2024                                    दीपिका राज सोलंकी









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