जो कहा नहीं लबों से

जो कहा नहीं लबों से वो बात याद आएगी
यू रात भर वस्ल की रात याद आएगी
अपने आँचल में तुम्हे उम्र भर छुपाती रही
धूप में निकलोगे तो माँ की याद आएगी
चुभेंगे आंखों में की अश्क़ जैसे काँटे हो
इस क़दर अब के बरस बरसात याद आएगी
मत जलाओ सब मकान अपनी बस्ती के
अकेले बैठोगे तो बस राख याद आएगी


तारीख: 10.04.2024                                    ज्योतिष सिंह









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है