माँ

माँ , एक ऐसा शब्द जिसका कोई सार नही
माँ, वो हस्ती जिसके हम पार नहीं
माँ, हमारे अधूरे किस्से की कहानी सी
माँ, एक शाम सुहानी सी
माँ, चांदनी रात हो जैसे
माँ, हमारी रूह का लिबास हो जैसे
माँ, मेरी जिंदगी की किताब हो जेसे
माँ,मेरी उपलब्धियों का खिताब हो जैसे
माँ, ईश्वर का उपहार है
माँ, आपकी हर डांट मुझे स्वीकार है
माँ,आपके बिना में अधूरी हूँ
माँ,आपके ही साये से पूरी हूँ
माँ,आप के होने से बहार है
माँ, आपसे ही ज़िन्दगी गुलज़ार है
माँ, मेरे अधूरे शब्दों की कविता है
माँ, मेरी जिंदगी की अद्विता है
माँ, मेरे मन जी हर बार जानती है
माँ, न जाने कैसे, मुझे खुद से ज्यादा पहचानती है
माँ,मैं आपकी जिंदगी की किताब का एक पन्ना हूँ
माँ,मैं जो शकर , तो आप गन्ना हो
माँ, आपका होना मुझे खुद का एहसास दिलाता है
माँ, आपका प्यार से सिर पे हाथ फेरना बार बार याद आता है
माँ, आपके जैसी शख्सियत मुझे अब मिलने से रही
माँ, आपके बिना जैसे मैं हमेशा खोई रही
माँ, आप मेरे सुबह का ख्वाब हो
माँ , आप मेरे हर सवाल का जवाब हो 
माँ, मेने आपको अपना भगवान बनते देखा है
माँ, खुद को आप जैसा बनते देखा है
माँ, आपका कर्ज़ मुझ पर हमेशा रहे
माँ, मेरी दुआ है कि आपका आशीर्वाद मुझ पर हमेशा रहे
 


तारीख: 18.02.2024                                    अनमोल राय









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