मैं हूँ नालायक कवि, मैंने क्या क्या लेख लिखें|
मैंने बेबसी की सिसकियाँ लिखीं
गांव चूल्हा रोटियां लिखीं
कहानी कुछ कड़ियाँ लिखीं
पाठशालाएं, शिक्षक,
हाँथ पर छपी छड़ियाँ लिखीं |
मैं हूँ नालायक कवि, मैंने क्या क्या लेख लिखें|
महफिलों की वाह लिखीं,
बस्तियों की आह लिखीं,
चाँद चकोर चाह लिखीं,
काली रात सियाह लिखीं |
मैं हूँ नालायक कवि, मैंने क्या क्या लेख लिखें|
बाप के कंधे लिखें,
दोस्तीं में अंधे लिखें,
वक़्त के फंदे लिखें,
इश्क़ के धंधे लिखें |
मैं हूँ नालायक कवि, मैंने क्या क्या लेख लिखें|
कीचड़ कमल गुलाब लिखें,
ज़िन्दगी ज़ख़्म किताब लिखें,
मखमली मेंहके ख्वाब लिखें,
दर्द ज़ालिम अज़ाब लिखें|
मैं हूँ नालायक कवि, मैंने क्या क्या लेख लिखें
बादशाहों का सेहरा लिखा,
फिर उन्ही को बेहरा लिखा,
आईने सा चेहरा लिखा,
दिल से कुछ गहरा लिखा |
मैं हूँ नालायक कवि, मैंने क्या क्या लेख लिखें|
किसको क्या नसीब लिखें,
चंद समझें, चंद अज़ीब लिखें,
बन्दे खुदा के करीब लिखें,
नेक बन्दों पर सलीब लिखें|
मैं हूँ नालायक कवि, मैंने क्या क्या लेख लिखें|
बारहां सख्त सफांएं लिखीं,
फ़क़त ज़हर, कड़वे सच, दुआएं लिखीं,
बेरुखी नम अदाएं लिखीं,
बने खुद अफवाहों के शिकार,
मगर कभी नहीं अफवाहें लिखीं |
मगर कभी नहीं अफवाहें लिखीं ||
मैं हूँ नालायक कवि, मैंने क्या क्या लेख लिखें|