तुम शस्यश्यामला मातृभूमि के प्रहरी रूप विशाल धरो
तुम धीर, वीर, गंभीर, अटल शिव चंद्र को अपने भाल धरो
तुम रौद्र रूप तांडव कर, शत्रु रक्त से मिट्टी लाल करो
ले महाकाल का रुप वीर मुट्ठी में अपने काल करो
हुंकार भरो संहार करो दुश्मन का सीना खार करो
मच जाए हाहाकार की ऐसा तुम शत्रु पर वार करो
कर शंखनाद तुम वीर पुत्र गुंजीत ये दिशायें चार करो
तुम मातृभूमि के चरणों में स्वार्गिक सुख का दीदार करो
हे राष्ट्र के गौरव वीर सुनो तुम आज़ादी के रक्षक हो
जो आंख उठे इस मातृभूमि पर उस शत्रु के भक्षक हो
तुम वेद पढ़ो क़ुरआन पढ़ो या फिर गुरुग्रंथ महान पढ़ो
पर वंदेमातरम के गीतों से हृदय शक्ति संचार करो
तुम केसरिया या श्वेत ,हरा पगड़ी को अपने माथ धरो
तुम मातृभूमि के चरणों में अपना ये शीश निसार करो
हो जाओगे तुम अमर वीर जब तिरंगे की सेज सजे
फड़केंगी दोनों भुजाएं जब इस कुरुक्षेत्र रणभेरी बजे
माटी के कण कण में मिलकर तुम सदा दिलों में ओज भरो
भारत के मस्तक पर तुम अपने बलिदानों से तिलक करो ।।