कोई कुछ बताएगा की हुआ क्या है ??
क्यों हुआ है.. कैसे हुआ है...
ये चारों ओर हंगामा क्या है....
मैं तो अलमस्त.. अल्हड... अभी खेल कर आई....
अरी ओ मनहूस... मुंह तो छुपा... क्यों कहने लगी माँई...
मेरी कांपती निगाहों ने पुछा... माँई मैंने किया क्या है???
आखिर मेरा कुसूर क्या है....
भीतर घुसते ही जीजी ने बर्तन थमा दिया पानी का....
"जा.... देकर आ.... वो बहार बैठा है मालिक तेरी मनमानी का.....
मालिक.....??? मेरा....???
कोई बताएगा... उस अनजान का मेरे ऊपर हक़ क्या है....???
आखिर मेरा कुसूर क्या है....
बिना कुछ जाने... बिना कुछ पूछे...
उन अनजान नज़रों ने शुरू कर दी नापतौल....
लड़की ऐसी है... वैसी है.... रंग सांवला... अजीब था माहौल....
सब पूछ रहे थे मुझसे..... मैंने भी पुछा....
तुम्हारे चेहरे पर वो दाग क्या है.....
सब उठ खड़े हुए.... हलचल मच गई....
गुस्से मैं लाल...
हाय... ये बदचलन है... बद्तमीज़ है..... हम संस्कारी हैं....
इज़्ज़त करो हमारी.....
आखिर लड़का पैदा किया है....
आखिर मेरा कुसूर क्या है....