सब हल होगा

दिल को थी उम्मीद यही कि सब हल होगा
आज नहीं तो कल होगा
बैठे बैठे ख्यालों में
घुमड़ते विचार यही बस आते थे
जो होगा बेहतर होगा 
यही आवाज़ लगाते थे
ऐसा तो नहीं है कि कुछ भी नहीं होगा
सफल नहीं तो जरूर विफल होगा

अगर कुछ पाएंगे नहीं तो कुछ सीखेंगे
जीवन के नए अनुभव में झाकेंगे
कभी कभी हंसी भी खुद पर आती थी
संभावनाएं उलझ कहीं जाती थी
राय किसी से लेना लगता था
ऐ उनका दखल होगा
फिर भी मेहनत करते रहे 
अंजामों की फिक्र छोड़ के
जब इरादा इतना अटल होगा
क्योंकि दिल को थी उम्मीद यही कि सब हल होगा
आज नहीं तो कल होगा


तारीख: 12.04.2024                                    अमित निरंजन









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