वक़्त

जो धीरे-धहेरे जख़्मो को भर दे,वो भगवान है वक़्त |
आशियाने को तिनके सा मसल दे,वो शैतान है वक़्त ||
कुछ कहे बिना सब कुछ बता दे, वो पैगाम है वक़्त | 
जीने के मायने बदल दे, वो लगाम है वक़्त ||

भीगी आँखों का पानी है वक़्त,
नानी-माँ की कहानी है वक़्त|
वक़्त, बचपन की अल्हड़ नादानी है,
बेकारी की निशानी है वक़्त ||

वक़्त ना ग़रीबों का है, ना अमीरों का,
यह गुलाम है चंद फ़क़ीरों का|
वक़्त किसी का मोहताज़ नहीं,
और वक़्त से महँगा कुछ आज नहीं ||
                 


तारीख: 15.06.2017                                    सौरभ पाण्डेय




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