मैं उतनी ही

तुम पर जो 
मुझसे थोड़ा सा अपनापन 
अक्षत सा अर्पण होता हैं न,
बस उतना ही मेरा अपना होता है!

तुम चाहो तो पूरा रख लो,
चाहो तो दो दाने भर मुझको देदो।

वक्त की अंगीठी में राख होने पर,
जो गिट्टी सा सपना बचता है न ,
बस उतना ही सपना मेरा अपना होता है।

तुम चाहो तो पूरा ले लो,
चाहो तो कुछ टुकड़े मुझको देदो।

तृण पर ओंस का मिलना
धूप संग जो पल भर का होता है न,
बस उतना ही पल मेरा अपना होता है।

तुम चाहो तो पूरा पल ले लो,
चाहो तो निमिष भर मुझको देदो।

मैं उतनी ही जितना तुम ले पाओ,
मैं उतनी ही जितना तुम पा जाओ।
 

 


तारीख: 20.02.2024                                    भावना कुकरेती




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