यूँ तो मन में आती है,
ढेरों कवितायें।
लेकिन ,
क्या तुम जानते हो?
मेरे बावरे मन का गुरुत्वाकर्षण,
आकर्षित होता है,
तुम पर लिखी गयी कविताओं पर।
और फिर,
मेरा बावरा मन,
मन ही मन लिखता है,
तुम पर,तुम्हारी याद में,
अनगिनत,अप्रकाशित,
प्रेम कविताओं की पाण्डुलिपियाँ।