परिन्दे

इन पेड़ो की शाखों पे भी 

कभी परिन्दे बैठे हुआ करते थे 

ज़मी इन्हे निगल गई 

या आसमां इन्हे खा गया 

 

 

मालूम नहीं 

ज़मी पे बिखरे 

पेड़ो की टहनियों में 

फंसे 

हवा में इधर-उधर उड़ते इनके 

टूटे-फूटे पंख 

आसमां की तरह 

इशारा कर के यह तो कहते है 

 

 

कि बेशक 

पेड़ो की शाखों पे 

बैठ 

अपने पंख सिकोड़ 

पल दो पल यह 

सुस्ता लिया करते थे 

पर यह परिन्दे पंख 

फैला कर कभी 

आसमां में भी उड़ा 

करते थे।


तारीख: 10.07.2017                                    मीनल




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