तू जल मत उससे की,
तेरे आने का आगाज अभी बाकी है।
खाली पड़ी इन किताबो में,
तेरे लिए भी कुछ सवाल अभी बाकी है।
तम नही हुआ अभी कुछ,
के वही पुरानी शुरुआत अभी बाकी है।
ढ्ला नही अभी सुरज पूरा ,
थोडी और शाम अभी बाकी है।
तूझे लगा भुल गया तु सब,
लेकिन एक नयी सोच का आगाज अभी बाकी है।
थोडा अंधेरा तो है आगे
लेकिन जलने को एक पुरानी मशाल अभी बाकी है
अभी तो कुछ ही पन्ने हुए है।
लिखने को तो पूरी किताब अभी बाकी है।
तू जल मत उससे की,
तेरे आने का आगाज अभी बाकी है।