अपने

खाई पाटने का काम दिया था जिनको ,
उनने ही इसमें और गहराइयाँ बना दी !!

जिन "पेड़ो" को काटकर पुल बना देते.
उनको ही काटकर क्यों आग लगा दी !!

थोड़ी सी कोशिश से भर जाते सारे जख्म !
पर, इन लोगो ने तो अपनी 'औकात' दिखा दी !!

हमने जिनको दी मांझा संभालने की जिम्मेदारी ,
ये क्या ! उनने ही हमारी पतंग काट दी 

मेरी मोहब्बत छिनने का कसूर सिर्फ मेरा नहीं ,
कुछ मेरे 'अपने' भी हैं ,जिनने खुशियाँ छाँट दी !!


तारीख: 23.06.2017                                    आदित्य प्रताप सिंह‬




रचना शेयर करिये :




नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है