कवियो से विशेष अनुरोध

आजकल कुछ कवियों को कवि कहना ठीक न होगा कलम के व्यापारी कवियों 
की कलम से नेताओ की चाटूकरिता की गधं प्रबल हो रही है। हमारी ही 
प्रजाति के इसलिये साहनूभूति है।। उन्हे समर्पित ।।।

माना ऐसे लेखो से
कुछ पैसे पा जाओगे
मर जाओगे तो
इन पैसो को लेकर जाओगे।

ये तो सबको मालूम है
सब को एक दिन मिटना है
ऐसे लेख लिखोगे तो
यादो से भी मिट जाओगे।

नेता जब कुछ करते है
तो सौ बार ढोल पीटते है
दो लाईन ओर लिखकर
किसका हित करवाओगे।

अब सभंलो यारो कलम की
गरिमा का लिहाज करो
आम जन की समस्या पर लिखो
परिवर्तन का अगाज करो।

नेता और घोटालो का
तो दोस्तों पुराना नाता है
हमारी कलम को
भ्रष्टाचार कहाँ भाता है।

थोड़ा सोचो और कलम
को चाटुकारिता से आज़ाद करो
क्रांतकारी परिवर्तन लाये
ऐसा कुछ ईजाद करो।

मै शायर रामकृष्ण
इस आशा से सबको करता हूँ प्रणाम 
न बेचोगे कलम को
न करोगे इसे बदनाम।


तारीख: 10.06.2017                                    राम निरंजन रैदास









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