\"गुरु\" का महत्व

गुरुर्ब्रह्म' गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर:
गुरु: साक्षात् परमब्रह्म' तस्मै श्री गुरवे नम:।।

गुरु का हमारे जीवन में बहुत महत्व है. गु का अर्थ होता है अन्धकार और रू का अर्थ होता है प्रकाश. अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को 'गुरु' कहा जाता है।

गुरु कोई भी हो सकता है, जो आपको ज्ञान दे, आपको मार्गदर्शन दे या आपके अंधकारमय जीवन को प्रकाश से भर दे. गुरु, आपके माता-पिता आपके दोस्त, आपके परिजन या आपके बच्चे भी हो सकते है. प्रकृति, जीव जंतु, पशु पक्षी या पेड़ पौधे सभी गुरु होते हैं क्योंकि जाने अनजाने हम उनसे बहुत कुछ सीखते है.

गुरु तथा देवता में समानता के लिए कहा गया है कि जैसी भक्ति की आवश्यकता देवता के लिए है वैसी ही गुरु के लिए भी। बल्कि सद्गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है। गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है।

गुरु किसी विशेष जाती या धर्म से नहीं जुड़ा होता वह तो अपने शिष्यों को समान रूप से शिक्षा दीक्षा देता है, जिसका बहुत ही सुंदर उदाहरण प्रकृति है. गुरु अपने भक्तों का उचित मार्गदर्शन करता है. उन्हें सच-झूठ, सही-गलत, अच्छे-बुरे का ज्ञान कराता है.

गुरु को ईश्वरतुल्य माना गया है, क्योंकि गुरु न हो तो ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग कौन दिखायेगा? गुरु बिना न आत्म-दर्शन होता और न परमात्म-दर्शन।

कहा गया है कि ‘गुरु-गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पांय, बलिहारी गुरु आपनो जिन गोविंद दियो मिलाय।’

यानी भगवान से भी अधिक महत्व गुरु को दिया गया है। यदि गुरु रास्ता न बताये तो हम भगवान तक नहीं पहुंच सकते। अतः सच्चा गुरु मिलने पर उनके चरणों में सब कुछ न्यौछावर कर दीजिये। उनके उपदेशों को मानिये और जीवन में उतारिये। अपने समस्त अहंकार, घमंड, ज्ञान, अज्ञान, पद व शक्ति, अभिमान सभी गुरु के चरणों में अर्पित कर दें। यही सच्ची गुरु दक्षिणा होगी।

सभी मनुष्य अपने भीतर बैठे इस परम गुरु को जगायें। यही गुरु-पूर्णिमा की सार्थकता है तथा इसी के साथ अपने गुरु का भी सम्मान करें।इसलिए अपने गुरु को नमन करें और सदैव उनका शुक्राना करें.


तारीख: 20.02.2024                                    मंजरी शर्मा




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