ये हवाओं में आज कशिश और नमीं क्यूँ है ? ये दरख़्तों के पत्तों की सरसराहट में कमी क्यूँ है ?
याद उन्हें भी आयी होगी शायद, जो हर पल याद मुझे है, ये चाँद एक सा सबकी छत पर, दूर ज़मीं क्यूँ है...... ???
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