एकतरफा सारे दुश्मन माफ किये जाऐं सोच रहा हूँ आईने अब साफ किये जाऐं
शिद्दत से बस्तियाँ गुनाहों मे डूब रही हैं क्यों ना मस्जिदों मे ऐतेकाफ किये जाऐं
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