रात से फिर सहर होने को है
डूब जा नशे में यादें सोने को है
इश्क करने का ये सिला हुआ
चेहरे का तब्बसुम रोने को हो।
चश्मों को मेरे प्यालें इनायत हो
अश्क इस जहाँ को भिगोने को है।
तबीयत अभी भी शायद भरी नही
तभी फिर से मोहब्बत होने को है।
"बेचैन" की संगत ना करो तुम
मुअय्यन जिदंगी पहले ही खोने को है।