इज्जत गई,शोहरत गई,वकार गया उसका
जो कुछ कमाया था सब बेकार गया उसका
टूटकर अब पहले जैसा नही रहा वो कायम
के सूरत भी बिगड़ गई,आकार गया उसका
वो क्या करे नाम तेरे जिगर के अलावा बता
जिगर तक तो जड़ें जख्म,पसार गया उसका
अब ये मानकर चलो मर जाना ही है उसको
बचने का जो बाकी था,आसार गया उसका
"आलम" क्या जीने की उम्मीद बंधाए उसको
जहन ही जब खुद से,थक हार गया उसका