मुझे एक पेड़ बनाना है ,लता नहीं
मुझे जीवन जीना है, ढोना नहीं
पर यह कोई क्यों नहीं चाहता
एक पेड़ अपने अस्तित्व की सार्थकता के लिए
चाहता है कि मैं लता बनूँ , उसके सहारे ऊपर उठूं
उसे महान सिद्ध कर अपनी आहुति दे दूँ
मैं क्यू मान लु इस बेमानी ज़िद्द को
मैं रहूंगी हमेशा आश्रित, नहीं कदापि नहीं
मैंने अपने कन्धो को बलवंत किया है
मैं अब एक पेड़ हूँ, लता नहीं
मैं भी अब जीवन जीती हूँ ,ढोती नहीं !