पुरुषों की मानसिकता

पता नहीं कब बदलेगी पुरुषों की मानसिकता,
औरतों की देह के आगे कुछ नहीं इन्हें दिखता।

फेसबुक पर भेजता औरतों को मित्रता निवेदन,
स्वीकार होते ही निवेदन असभ्य संदेश भेजता।

फिर पोस्ट देखने की बजाए देखता वो तस्वीर,
फिर उन तस्वीरों पर अभद्र टिप्पणियाँ लिखता।

कई तस्वीरों को साझा करता अपने दोस्तों से,
हर औरत के प्रति गंदे विचार दिमाग में रखता।

संदेश का जवाब नहीं मिलने पर भड़क जाता,
फिर एक पल भी मित्रता सूचि में नहीं टिकता।

दे देती है कोई औरत पलट कर जवाब करारा,
घटिया सोच है तुम्हारी कह औरत पर चीखता।

करके गलती सरेआम पुरुष खुद ही अकड़ता,
अपनी पिछली गलतियों से नहीं सबक सीखता।

सुलक्षणा के जैसे यदि कोई दे देती है चेतावनी,
कहता है लिखती हो तुम घटिया घटिया कविता।


तारीख: 03.07.2017                                    डॉ सुलक्षणा




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