अमीरे-शहर के दरबारों में कुछ इस कदर इंसाफ़ होता है-ग़ज़ल

अमीरे-शहर के दरबारों में कुछ इस कदर इंसाफ़ होता है
बेगुनाहों को सजा गुनहगारों का गुनाह भी माफ़ होता है

झूठ बोलने वालों के हिमायती हजारों मिल जाया करते हैं
मगर सच बोलने वालों के हर कोई यहां ख़िलाफ़ होता है

बेईमानों के तरफदारों की कोई कमी नहीं होती लेकिन
ईमानदारों की ईमानदारी का पुरज़ोर इख़्तिलाफ़ होता है

कभी जमीनें इक बूंद पानी को तरस जाती हैं और कभी
बारिशें तब भी बरस जाती हैं जब आसमां साफ़ होता है


तारीख: 18.04.2024                                    धर्वेन्द्र सिंह









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