इश्क दिखा था आंख में उनके

इश्क दिखा था आंख में उनके
नीदों में यूं सपने बुनके
खेल रहे थे आंख मिचौली,
प्यार की फिर बनी रंगोली


रिमझिम रिमझिम बारिश के संग
भीख रहे थे लिए उमंग
मौसम भी था बड़ा सुहाना
शमाँ को मिला गया परवाना


तारोँ की दुनिया में बैठे
ख्यालों में खोए जिनके
इश्क दिखा था आंख में उनके
नीदों में यूं सपने बुनके


चांद तो देखो पास था मेरे
आसमान में डाले डेरे
बीत रही थी पहर सुहानी
टूट रही थी निदियां रानी


बदला मौसम आया पतझड़
गिरने लगे पेड़ से तिनके
इश्क दिखा था आंख में उनके
नीदों में यूं सपने बुनके।


तारीख: 06.04.2020                                    रवि श्रीवास्तव









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