मसान: जीवन, मृत्यु और मोक्ष की अंतर्गाथा

**परिचय:**

"मसान" नीरज घेवन द्वारा निर्देशित, एक ऐसी फिल्म है जो बनारस के पावन घाटों पर जीवन और मृत्यु के बीच के सूक्ष्म संबंध को उजागर करती है। इस फिल्म में दो प्रमुख कहानियाँ हैं जो एक-दूसरे से अलग हैं लेकिन फिर भी जीवन के सार्वभौमिक सत्यों को साझा करती हैं। एक ओर दीपक (विकी कौशल) की कहानी है, जो एक निचली जाति  से आता है और उच्च शिक्षा प्राप्त करने की आशा में है, और दूसरी ओर देवी (रिचा चड्ढा) की कहानी है, जिसका जीवन एक घटना के बाद पूरी तरह बदल जाता है। "मसान" एक ऐसी फिल्म है जो जीवन, मृत्यु, प्रेम और मोक्ष की गहरी समझ प्रदान करती है। इस फिल्म में व्यक्त की गई जीवन की सार्वभौमिक सत्यताएँ और मानवीय भावनाएँ इसे समकालीन भारतीय सिनेमा की एक महत्वपूर्ण कृति बनाती हैं।

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**कथानक और पटकथा:**

"मसान"  वाराणसी के पावन शहर में सेट एक गहन और संवेदनशील फिल्म है, जो जीवन, मृत्यु, प्रेम, और मोक्ष की कहानियों को बुनती है। इस फिल्म में दो अलग-अलग कहानियाँ हैं जो एक साथ मिलकर एक अद्वितीय नैरेटिव बनाती हैं। पहली कहानी दीपक (विकी कौशल) की है, जो एक इंजीनियरिंग छात्र है और डोम समुदाय से आता है, जिसका काम श्मशान घाट पर चिताओं को जलाना है। दीपक प्यार में पड़ता है, लेकिन सामाजिक बाधाएँ उनके प्रेम को एक चुनौती देती हैं। दूसरी कहानी देवी (रिचा चड्ढा) की है, जो एक युवा महिला है जिसका जीवन एक सेक्स स्कैंडल के कारण उलझ जाता है।

फिल्म की पटकथा, वरुण ग्रोवर द्वारा लिखित, इन दोनों कहानियों को इस तरह से बुनती है कि वे जीवन के विभिन्न पहलुओं - दुख, प्रेम, खोज, और मोक्ष - का पता लगाते हैं। पटकथा में गहराई है और यह संवेदनशीलता से उन मुद्दों को छूती है जो भारतीय समाज में अक्सर अनदेखे या अनसुने रह जाते हैं।

"मसान" की कहानी वाराणसी के घाटों पर जीवन और मृत्यु के सार्वभौमिक चक्र को दर्शाती है। दीपक और देवी की कहानियाँ, भले ही अलग हों, एक समान संदेश प्रस्तुत करती हैं - मुक्ति और आजादी की खोज में जीवन की अनिश्चितता और संघर्ष। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे व्यक्तिगत त्रासदी और सामाजिक बाधाएँ इन पात्रों को उनके सबसे निचले बिंदु तक ले जाती हैं, लेकिन यह भी दिखाती है कि कैसे वे इससे ऊपर उठते हैं।

"मसान" इस प्रकार एक प्रभावशाली फिल्म है जो मृत्यु के शहर में जीवन की खोज का चित्रण करती है। इसकी पटकथा न केवल जटिल चरित्रों और उनके जीवन के संघर्षों को प्रस्तुत करती है, बल्कि यह एक साथ में विश्वास, प्रेम, और मुक्ति की उम्मीद को भी साझा करती है।

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**अभिनय:**

"मसान" में अभिनय की गहराई और विविधता इसे हिंदी सिनेमा की एक अद्वितीय फिल्म बनाती है। इस फिल्म में किरदारों की जटिलता और उनके भावनात्मक सफर को अभिनेताओं ने बेहद कुशलता और संवेदनशीलता के साथ चित्रित किया है। विकी कौशल, रिचा चड्ढा, श्वेता त्रिपाठी, और संजय मिश्रा जैसे कलाकारों ने अपने अभिनय के माध्यम से फिल्म को एक असाधारण भावनात्मक गहराई प्रदान की है।

विकी कौशल ने दीपक के किरदार में एक युवा इंजीनियरिंग छात्र की भूमिका निभाई है, जो प्यार और अपनी सामाजिक स्थिति के बीच के संघर्षों से जूझ रहा है। विकी का अभिनय इतना सजीव और प्रभावशाली है कि दर्शक दीपक के दर्द, उसकी आशाओं और निराशाओं को महसूस कर सकते हैं। उनके चरित्र का विकास फिल्म में एक मजबूत भावनात्मक आधार प्रदान करता है।

रिचा चड्ढा ने देवी के किरदार को निभाया है, जो एक युवा महिला है जिसका जीवन एक घटना के कारण उलझ जाता है। रिचा का प्रदर्शन देवी के आंतरिक संघर्ष और उसकी ताकत को दिखाता है। उनका अभिनय इतना सूक्ष्म और सशक्त है कि वह देवी के चरित्र को एक विश्वसनीयता और गहराई प्रदान करते हैं, जो दर्शकों को उससे जोड़ती है।

श्वेता त्रिपाठी ने शालू की भूमिका निभाई है, जो दीपक के प्रेम की वस्तु है। श्वेता का अभिनय शालू के चरित्र की मासूमियत और उसके प्रेम की गहराई को दर्शाता है। उनके चरित्र की यात्रा और उसके भावनात्मक संघर्षों को उन्होंने बड़ी कुशलता से चित्रित किया है।

संजय मिश्रा, जिन्होंने देवी के पिता का किरदार निभाया है, ने एक ऐसे पिता की भूमिका अदा की है जो अपनी बेटी के लिए समाज से लड़ता है। संजय मिश्रा का अभिनय फिल्म में एक मजबूत सहारा प्रदान करता है, जो दर्शाता है कि परिवार और प्यार की ताकत किसी भी सामाजिक बाधा से ऊपर है।


"मसान" में पंकज त्रिपाठी का अभिनय छोटा लेकिन यादगार रहा। उन्होंने सद्य स्नातक, रेलवे के एक छोटे से कर्मचारी की भूमिका निभाई, जो अपने सरल स्वभाव और मासूमियत के साथ फिल्म में एक सुखदायक स्पर्श जोड़ते हैं। उनका किरदार, सध्य जी, वाराणसी के बीचोबीच स्थित एक छोटे से रेलवे स्टेशन पर काम करता है और फिल्म में विकी कौशल के किरदार, दीपक से उनकी मुलाकात एक खास मोड़ लाती है।

"मसान" के अभिनेताओं ने अपने प्रदर्शन के माध्यम से फिल्म के विविध और जटिल चरित्रों को जीवंत किया है। उनका अभिनय न केवल उनके चरित्रों की गहराइयों को उजागर करता है बल्कि फिल्म के संदेश को भी मजबूती से प्रस्तुत करता है। इस फिल्म का अभिनय ही इसे एक यादगार सिनेमाई अनुभव बनाता है, जो दर्शकों को गहराई से प्रभावित करता है।

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**सिनेमैटोग्राफी और संगीत:**

"मसान" की सिनेमैटोग्राफी और संगीत इस फिल्म की आत्मा को गहराई से छूते हैं, जिससे यह एक अविस्मरणीय और भावनात्मक अनुभव बन जाती है। अविनाश अरुण द्वारा की गई सिनेमैटोग्राफी और इंडियन ओशन द्वारा रचित संगीत इस फिल्म को एक अलग ही स्तर पर ले जाते हैं।

सिनेमैटोग्राफी में वाराणसी के घाटों की सुंदरता और विषाद को इस तरह से कैप्चर किया गया है कि यह फिल्म के भावनात्मक ताने-बाने को गहराई देती है। दृश्यों की रचना, प्राकृतिक प्रकाश का उपयोग, और रंगों का संतुलन ऐसे हैं कि वे दर्शकों को न केवल वाराणसी की गलियों और घाटों पर ले जाते हैं बल्कि उन्हें फिल्म के पात्रों के आंतरिक संसार में भी ले जाते हैं। फिल्म के विभिन्न दृश्य, जैसे कि गंगा के किनारे जलती चिताएँ, या शहर की गलियों में भटकते चरित्र, इसकी सिनेमैटोग्राफी की सुंदरता और कलात्मकता को दर्शाते हैं।

संगीत, जो इंडियन ओशन द्वारा रचित है, फिल्म की भावनाओं और थीम्स को और भी गहराई देता है। "तू किसी रेल सी गुजरती है, मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ" - यह गीत दीपक और शालू के प्यार की मासूमियत और गहराई को दर्शाता है। इसके बोल न केवल उनके रिश्ते की खूबसूरती को उजागर करते हैं बल्कि यह भी दिखाते हैं कि कैसे प्रेम जीवन के सबसे कठिन क्षणों में भी उम्मीद की किरण बन सकता है। 

"मन कस्तूरी रे" गीत फिल्म की आत्मा को छू लेता है, जिसमें जीवन की खोज और आत्म-अन्वेषण की बात की गई है। इसके बोल "मन कस्तूरी रे, जग दस्तूरी रे, बाहर से कुछ और भीतर से कुछ और" जीवन की उस अंतर्दृष्टि को व्यक्त करते हैं जो बाहरी दुनिया और आत्मा के बीच के अंतर को दर्शाती है।

संगीत और सिनेमैटोग्राफी मिलकर "मसान" को एक ऐसी फिल्म बनाते हैं जो न केवल दृश्य और श्रव्य सुख प्रदान करती है बल्कि गहरे भावनात्मक संदेश भी देती है।

 

दिलचस्प तथ्य और ट्रिविया

यहाँ पर कुछ दिलचस्प तथ्य और ट्रिविया पेश किए जा रहे हैं जो इस फिल्म के निर्माण और इसके प्रभाव को और भी गहराई से समझने में मदद करते हैं।

1. **अंतर्राष्ट्रीय सम्मान:** "मसान" ने 2015 में कान फिल्म फेस्टिवल में दो प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते - FIPRESCI पुरस्कार और एक 'प्रोमिसिंग फ्यूचर' पुरस्कार। इस सम्मान ने न केवल फिल्म को बल्कि इसके निर्देशक नीरज घेवन को भी अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्रदान की।

2. **वाराणसी का चित्रण:** फिल्म की शूटिंग मुख्य रूप से वाराणसी में हुई, जिससे इसकी प्रामाणिकता में वृद्धि हुई। वाराणसी के घाट और गलियाँ फिल्म के भावनात्मक और विषयगत पहलुओं को और अधिक गहराई प्रदान करते हैं।

3. **संगीत और कविता:** फिल्म के संगीत में इंडियन ओशन बैंड का योगदान है, जिसने इसे एक अनूठी ध्वनिक गहराई प्रदान की। विशेष रूप से "तू किसी रेल सी गुजरती है" गीत, जो दुष्यंत कुमार की कविता पर आधारित है, ने दर्शकों के दिलों को छुआ।

4. **अभिनेताओं का चयन:** विकी कौशल और रिचा चड्ढा जैसे कलाकारों का चयन उनकी अभिनय क्षमता और चरित्रों के साथ उनकी गहरी समझ के लिए किया गया था। विकी कौशल की यह पहली प्रमुख फिल्म थी, और उनके प्रदर्शन ने उन्हें एक प्रतिभाशाली नए अभिनेता के रूप में स्थापित किया।

5. **समाजिक विषय:** "मसान" ने भारतीय समाज में वर्ग और लिंग के मुद्दों को बहुत ही संवेदनशीलता से छुआ है। फिल्म ने यौन संबंधों, कास्ट सिस्टम, और पितृसत्तात्मक समाज की रूढ़ियों पर खुलकर चर्चा की, जो इ

से एक साहसिक और विचार-प्रेरक फिल्म बनाती है।

6. **क्रिटिकल एक्लेम:** फिल्म ने आलोचकों से उच्च प्रशंसा प्राप्त की और कई फिल्म समारोहों में इसकी सराहना की गई। "मसान" को इसकी गहराई, कथानक की मौलिकता, और अभिनय के लिए व्यापक रूप से सराहा गया।

7. **दर्शकों की प्रतिक्रिया:** फिल्म ने दर्शकों के बीच एक गहरी छाप छोड़ी, जिसने इसे व्यावसायिक रूप से सफल बनाया। इसकी कहानी और पात्रों के साथ दर्शकों की गहरी संवेदनशीलता ने "मसान" को एक कल्ट फिल्म का दर्जा दिया।

"मसान" की ये दिलचस्प तथ्य और ट्रिविया इसे सिर्फ एक फिल्म से ज्यादा बनाते हैं; यह एक भावनात्मक अनुभव है जो दर्शकों को लंबे समय तक याद रहता है।


तारीख: 04.02.2024                                    यायावर









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