ओपिनियन - एनिमल फिल्म की बेतरतीब आलोचना

"एनिमल" फिल्म के आसपास चल रही आलोचना और उसके प्रतिक्रियाओं पर विचार करते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि हम पहले समझें कि सिनेमा, कला का एक रूप है जो समाज और उसके विविध पहलुओं को दर्शाता है। "एनिमल" की समीक्षा करते समय, दो मुख्य बिंदुओं पर विचार करना उचित होगा: एक तो यह कि फिल्म सेंसर बोर्ड द्वारा पारित है, और दूसरा यह कि फिल्म एक काल्पनिक कथा पर आधारित है।

Animal film par lekh

सेंसर बोर्ड की भूमिका

"एनिमल" फिल्म में अत्यधिक हिंसा के चित्रण को 'A' प्रमाणपत्र (वयस्क प्रमाणन) प्राप्त होना, फिल्म प्रमाणन बोर्ड की जिम्मेदारी और सामाजिक संवेदनशीलता के प्रति उसके समर्पण को दर्शाता है। 'A' प्रमाणपत्र फिल्मों को वह श्रेणी प्रदान की जाती है जिनमें वयस्क दर्शकों के लिए उपयुक्त सामग्री होती है, जिसमें अत्यधिक हिंसा, यौन सामग्री, या अन्य वयस्क-उन्मुख थीम शामिल हो सकते हैं। इस प्रकार का प्रमाणन निम्नलिखित कारणों से उचित और आवश्यक है:


सेंसर बोर्ड, जिसे भारत में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) के नाम से जाना जाता है, फिल्मों को उनके सामग्री, दृश्य प्रदर्शन, और सामाजिक प्रतिबद्धता के आधार पर प्रमाणित करता है। जब "एनिमल" जैसी किसी फिल्म को CBFC से प्रमाणन मिल जाता है, तो इसका मतलब यह होता है कि फिल्म ने कुछ निर्धारित मापदंडों को पूरा किया है। ये मापदंड सामाजिक मर्यादा, सजगता, और दर्शकों की आयु समूह की उपयुक्तता से संबंधित होते हैं। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होता है कि फिल्म सामाजिक और नैतिक दायरों के अंदर रहकर अपनी कहानी को प्रस्तुत करती है।

अभिव्यक्ति की आज़ादी का महत्व
अभिव्यक्ति की आज़ादी, विशेष रूप से कला और सिनेमा में, एक बहुत महत्वपूर्ण सिद्धांत है। यह समाज के लिए नए विचारों, अलग-अलग दृष्टिकोणों, और विविध अनुभवों को खोलता है। निर्देशक की अभिव्यक्ति की आज़ादी उसे बिना किसी प्रतिबंध के सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक मुद्दों पर अपनी राय रखने की शक्ति देती है। यह समाज में चर्चा और विचार-विमर्श को प्रोत्साहित करता है, जिससे विचारों की विविधता और संवाद की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है।
"एनिमल" फिल्म की आलोचना के संदर्भ में, निर्देशक की अभिव्यक्ति की आज़ादी एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर गहन चर्चा की जा सकती है। फिल्म निर्माण, जैसे कला के किसी भी रूप में, निर्देशक की व्यक्तिगत दृष्टि और सृजनात्मकता का प्रतिबिंब होता है। यह उसकी या उसकी कल्पना, विचारों, और समाज के प्रति दृष्टिकोण को प्रकट करता है। इस प्रकार, अभिव्यक्ति की आज़ादी कलात्मक स्वतंत्रता के सार को दर्शाती है और निर्देशक को उसके या उसकी अद्वितीय आवाज को प्रस्तुत करने की अनुमति देती है।

काल्पनिकता का महत्व
"काल्पनिकता", या काल्पनिक कथा, मानव समाज के भावनात्मक, सांस्कृतिक, और सामाजिक जीवन को समझने और व्यक्त करने का एक शक्तिशाली साधन है। काल्पनिक कथाएँ, चाहे वो फिल्म के रूप में हों या साहित्य के रूप में, मानव अनुभवों और कल्पनाओं का आईना होती हैं। "एनिमल" की कहानी, जो एक काल्पनिक रचना है, को भी इसी दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए। काल्पनिक कथाएँ वास्तविकता से परे, एक अलग सामाजिक और मनोवैज्ञानिक स्थितियों का निर्माण करती हैं, जिनमें पात्र और घटनाएँ अपने आप में एक अध्ययन के रूप में समझी जा सकती हैं।

Animal film par ek lekh

 

आलोचना की प्रकृति
हर फिल्म या कला का टुकड़ा, जिसे समाज के एक हिस्से द्वारा सराहना मिलती है, वह उसी समय दूसरे सामाजिक समूहों द्वारा आलोचना का सामना भी करता है। "एनिमल" के संदर्भ में, यह महत्वपूर्ण  है कि आलोचनाओं को समझने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया जाए। आलोचना, जब तक यह निर्माणात्मक है और समझने की कोशिश करती है, तब तक यह कलाकार और समाज दोनों के लिए उपयोगी हो सकती है। लेकिन, आलोचना को बिना किसी तर्क-संगत आधार के, केवल आलोचना के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

 

समाज और सिनेमा
सिनेमा, भारत में लोकप्रिय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो सामाजिक मुद्दे, इतिहास, और काल्पनिक कथाएं, सभी को एक मंच प्रदान करता है। "एनिमल" जैसी फिल्मों को, जो काल्पनिक कथाएं प्रस्तुत करती हैं, उन्हें एक कलात्मक अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाना चाहिए, जो दर्शकों को नए नजरिए, सोचने के नए तरीके, और मनोरंजन प्रदान करता है। उदाहरण के लिए अगर हम फिल्म गैंग्स ऑफ़ वासेपुर को याद करें तो हम देखेंगे की अत्यधिक हिंसा, खून खराबा, और अप्पतिजनक भाषा के प्रयोग के बावजूद इस फिल्म को हिंदी सिनेमा का  एक कल्ट क्लासिक माना  जाता है।

हालाँकि एनिमल फिल्म इस श्रेणी में नहीं आती मगर यह महत्वपूर्ण है कि दर्शक फिल्मों में हिंसा और भाषा के प्रयोग को न केवल सतही तौर पर देखें, बल्कि उसके पीछे के संदर्भ और उद्देश्य को समझने की कोशिश करें। "गैंग्स ऑफ वासेपुर" की सफलता इसके यथार्थवादी चित्रण और गहराई से उकेरे गए पात्रों में निहित है, जो दर्शकों को उस युग और उसके संघर्षों में ले जाती है। "एनिमल" का उद्देश्य भले ही अलग हो, लेकिन यह भी कलात्मक अभिव्यक्ति का एक रूप है जो अपने आप में वैध और महत्वपूर्ण है।


तारीख: 26.01.2024                                    पहलाज चचा









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