सब वहीं पे हैं। जहाँ जिसे जैसे होना चाहिए। पर व्यवस्थित और बलवान से इस ढांचे से मैंने चुपके से खुद को एक दिन बस हटा लिया और सब के अनजाने में इसे अधूरा छोड़ दिया। बिल्कुल मेरी ही तरह।
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