तो कितना अच्छा होता

धुंधला दिखता
तो कितना अच्छा होता
मुझे कम दिखता
तेज हवाओ का शोर होता
तो कितना अच्छा होता


मुझे कम सुनता
मेरी जुबां पे बंदिशों का पहरा होता
तो कितना अच्छा होता


मुझे कम कहना होता
मेरा दिल पत्थर होता
तो कितना अच्छा होता


मुझे कुछ महसूस न होता
वो बेमतलब बेबात
न तड़पता।
 


तारीख: 10.07.2017                                    मीनल




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