वो फिर से मुस्कुराना चाहता है
मोहब्बत की रस्म निभाना चाहता है
ऊब गया रिश्ते को नाम से ढोते
अब वो भूल जाने का बहाना चाहता है
बहुत सहा दर्द उसने
अब औरों को अजमाना चाहता है
मसीहाओं से कह दो होश में आयें
तूफां समदंर में आना चाहता है
तुम्हें मुबारक हो जहाँ तुम्हारा
बेचैन यहाँ से जाना चाहता है