भूलकर ये गुनाह मत कीजे

भूलकर  ये गुनाह   मत कीजे
प्यार मुझसे अथाह मत कीजे ।
 
रात की नींद औ सुकूँ खोया
खुद को यूँ तबाह मत कीजे ।
 
मन को मैं छू न पाऊं तो जरा
लफ्जों पर मेरे वाह मत कीजे ।
 
है नही इश्क़ गर तुझे मुझसे 
प्यार की फिर निगाह मत कीजे ।
 
बिताये जो पल तुझसँग मैंने
भूल जाऊं ये चाह मत कीजे ।
 
फिक्र मेरी जो तुझे नही होती
दर्द पर मेरे फिर आह मत कीजे ।
 
चाहते न हो रिशु के लिए तेरी
भूलकर उससे निकाह मत कीजे ।


तारीख: 15.06.2017                                    ऋषभ शर्मा रिशु




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