भूलकर ये गुनाह मत कीजे
प्यार मुझसे अथाह मत कीजे ।
रात की नींद औ सुकूँ खोया
खुद को यूँ तबाह मत कीजे ।
मन को मैं छू न पाऊं तो जरा
लफ्जों पर मेरे वाह मत कीजे ।
है नही इश्क़ गर तुझे मुझसे
प्यार की फिर निगाह मत कीजे ।
बिताये जो पल तुझसँग मैंने
भूल जाऊं ये चाह मत कीजे ।
फिक्र मेरी जो तुझे नही होती
दर्द पर मेरे फिर आह मत कीजे ।
चाहते न हो रिशु के लिए तेरी
भूलकर उससे निकाह मत कीजे ।