फिर इश्क़ किया जाये

गुजरे है कई साल अब, फिर इश्क़ किया जाये। 
पहले सा बुरा न हाल अब, फिर इश्क़ किया जाये। 

जाने थे जो जाने वाले, कबके चले गए,
इस बात न मलाल अब, फिर इश्क़ किया जाये। 

हाथों की कुछ लकीरें सीधी होने लगी हैं। 
गृहों की ठीक है चाल अब, फिर इश्क़ किया जाये। 

शिथिल रगों बहते-बहते जो ठंडा पड़ गया था। 
है खून में वही उबाल अब, फिर इश्क़ किया जाये।

फंसती थी जो मछलियाँ, अब भी फँस जाएंगी। 
अजी डाल भी दो जाल अब,फिर इश्क़ किया जाये।

करना था जो ऐसा-वैसा, सब कर चुके,
करते है कुछ कमाल अब, फिर इश्क़ किया जाये।

होनी थी जो बदनामी, ज़माने ने कर ली। 
दुनिया न कुछ ख्याल अब, फिर इश्क़ किया जाये।


तारीख: 17.06.2017                                    अर्पित गुप्ता 




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