फिर रुलाने तेरा ख़्वाब आया ।
दिल जलाने तेरा ख़्वाब आया ।।
नींद की कोशिशें नाकाम हुई,
जब जगाने तेरा ख़्वाब आया ।।
मैं रोया चुपके–चुपके जब भी,
और रुलाने तेरा ख़्वाब आया ।।
मैं खुद बेघर बंजारा लेकिन,
घर बनाने तेरा ख़्वाब आया ।।
न तुम आए न संदेश कोई,
पर सुस्ताने तेरा ख़्वाब आया ।।
मेरी तरह तुम भी तन्हा थे शायद,
यह बताने तेरा ख़्वाब आया ।।
गुजरे जमाने के रंग लिए फिर,
दिल लगाने तेरा ख़्वाब आया ।।
ये इश्क़ ही है ‘माही’ जो मुझ तक,
कर बहाने तेरा ख़्वाब आया ।।