ज़िंदगी की राह में अक्सर मिलते है ग़म कैसे कैसे ,
वक़्त काटे है, मिल के हमने, मेरे सनम कैसे कैसे,
जितने भी लिखे हैं दर्द उतने तो हर हाल में आएंगे,
इनको ले के भी ये लोग, मनाते है मातम कैसे कैसे,
कभी आएगा अच्छा तो बुरा वक़्त आना, लाज़िम है,
आखिर ये ज़िंदगी रहेगी खुशनुमा हरदम कैसे,कैसे,
बहुत ज्यादा ही उम्मीद करना ठीक नहीं ज़िंदगी में ,
क्योंकि टूट जाते है ज़िंदगी में अपने भरम कैसे कैसे,
हलाकि गर होंसले से बढ़े, इस ज़िंदगी की लड़ाई में,
तो यकीनन पा ही लेंगे दोस्त मुकाम, हम कैसे, कैसे
ज़िंदगी की राह में अक्सर मिलते है ग़म कैसे कैसे ,
वक़्त काटे है, मिल के हमने, मेरे सनम कैसे कैसे,