
बददुआ दे दी होती, या मौत मांग ली होती
हमने तस्लीम हंसकर की होती
बेखबर है इश्क से, जो तूने ख़बर दी होती
हमने हर बात बेअदब की होती
वफ़ा करे तू , जो ज़िंदगी ये ख़्वाब सी होती
हमने हर झाड़ी गुलाब की होती
तू वफ़ा कर रही है, तूने एक सदा दी होती
हमने हर ज़हर भी दवा की होती
तेरे इश्क को तरसे, तूने बस रजा दी होती
हमने इश्क़मय ये फ़ज़ा की होती
धनक ये इश्क़ है, जो तूने रूह रंग ली होती
हमने खुदा से भी जंग की होती
लिखता है शायर, जो तूने मुहब्बत दी होती
थोड़ी ही सही पर मिस्ले रक़ीब तो की होती
दरिया सा उड़ेल देता वो इश्क़ का तुझ पर
एक शाम ही सही जो उसके नाम की होती