ख़ुदा की यूँ कुदरत लिखेंगे

Gazal shayari sahitya manjari

ख़ुदा की यूँ कुदरत लिखेंगे
उन्हीं की  इबारत  लिखेंगे

वही दो जहानों का रहबर
उन्हीं की इनायत लिखेंगे

मुहब्बत के शायर है हम भी
कलम  से  मुहब्बत  लिखेंगे

मिटेंगी तुम्हारी यूँ मुश्क़िल
ख़ुदा को हक़ीक़त लिखेंगे

नज़र  चार  तुमसे  हुई  है
तुम्हारी शरारत लिखेंगे 

सभी को मुहब्ब्त माँ से हो
कलम से नसीहत लिखेंगे

सिपाही क़लम का बन जा
नहीं हम सियासत लिखेंगे

खदेड़े मुल्क़ से जो दुश्मन
वो सेना की ताक़त लिखेंगे

हवेली जो नफ़रत की ये है
ख़ुशी की वसीयत लिखेंगे


तारीख: 04.01.2024                                    आकिब जावेद









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