ख्वाबो में ही मेरे ये आता कौन है !
शब भर मुझे आखिर सताता कौन है!!
वो बेवफा जब छोडकर जा ही चुका;
यादो में मेरे फिर ये आता कौन है !!
वादे तो करते है बहुत सब आजकल
पर आजकल इनको निभाता कौन है !!
उठकर सुबह मैं सोचता हूँ बस यही;
नींदों में ख्वाबो को सजाता कौन है !!
ये शाम ढ़लते कान के पीछे मेरे ;
मेरी ग़ज़ल ये गुनगुनाता कौन है !!
मैं रातभर बैठा रहा इस आस में ;
देखूँ तो ये शम्मा बुझाता कौन है !!
सबने सुना है वक्त का किस्सा मगर ;
ये वक्त का किस्सा सुनाता कौन है !!
हँसने की कोशिश में रो पड़ता हूँ मैं जब ;
मैं सोचता हूँ ये रूलाता कौन है !!