वफ़ा के ये मायने है, भरोसा, इज़्ज़त और उसका, ख्याल रखना।
और जो हो, गलती से भी कोई गलती, दिल में ना कोई मलाल रखना ।
हर वक़्त, हक़ से, कुछ पूछने की, यह आदत, बिलकुल नहीं अच्छी,
जब दिल ही से जुड़ चुके हम, तो अब, फिर क्यों, सवाल रखना।
कुछ हासिल नहीं होता, शक से, बस यूँ रिश्ते टूट जाया करते हैं,
गर कोई बात किसी से कर ली, तो बस इस रिश्ते का इक़बाल रखना।
ज़माने की, बातें, सुन के, दिल में, जैसे ही, आये, जरा भी, रंजिश,
बस उसी लम्हा, उसे मेहरबान दिल से, अपने, फ़ौरन निकाल रखना।
दर्द, प्यार के, जान लीजिए मोहतरमा, एक बहुत, निजी मामला है,
चोट गर, लग भी जाये, कभी, बस, आँख के आगे, रुमाल रखना।
वफ़ा के ये मायने है भरोसा इज़्ज़त और उसका ख्याल रखना,
और जो हो गलती से भी कोई गलती, दिल में ना कोई मलाल रखना।