कभी अपने भी दिल में, खुश्नुमा अहसास रहता था,
हर घडी, हर लम्हा, ख्याल इक अपने पास रहता था,
हकीकत में, चाहे, कोई बहुत दूर, था हमसे, वो यार,
दिल में, और जिगर में, वो मगर बिंदास रहता था,
अपने इस दिल में, थी उसकी, इक, अलग ही जगह,
होता ना था कभी दूर हर पल दिल के पास रहता था,
कि हस्ती को, हमारी, ना कुछ, समझता था यह जहाँ ,
पर दिल में उनके बन के शायद, मैं इल्यास रहता था ,
ख्याल आते ही, उनका, खुश्नुमा, हो जाती थी, फ़िज़ा,
हर लम्हा उनकी उन्ही यादोंका ओढे लिबास रहता था,
कभी ,अपने भी, दिल में, खुश्नुमा, अहसास रहता था,
हर घडी, हर लम्हा, ख्याल, इक अपने, पास रहता था!!