ये सिलसिला रात भर यूं ही जारी रहने दो

ये सिलसिला रात भर यूं ही जारी रहने दो
कल की सुबह पर ये रात भारी रहने दो

घर का उजाला लूटने वालो रहम करो
ठण्डे चूल्हे मे एक चिंगारी रहने दो

बहार कितने जूगनू है चांद की फिराक मे
अभी तुम हुस्न पर पर्दा दारी रहने दो

आज तक नही मिला मुक्कमल कोई शख्स जहां मे
रहने दो अमां मियां समझदारी रहने दो

तोड मरोड कर पेश करते हो शायरी को
बिजनिस मत बनाऔ फनकारी रहने दो


तारीख: 18.06.2017                                    नितिन धामा






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