ढाक के तीन पात

ढाक के तीन पात मैं नहीं लिखता
दिल के खयालात मैं नहीं लिखता ।
आँखो से उतर आती है कागज़ पे
सपनों की सौगात मैं नहीं लिखता ।
न आंखे झील सी हैं न चेहरा कंवल
हुस्नोईश्क़ के हालात मैं नहीं लिखता ।
बेवफाई,जुदाई हरज़ाइ या गमेइश्क़
घिसे-पिटे ज़ज्बात मैं नहीं लिखता ।
सुन ले अजय कुछ ज्यादा हो गया
मत कहना दिन-रात मैं नहीं लिखता ।


तारीख: 07.02.2024                                    अजय प्रसाद




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