गजल मुझसे मेरी कलम मांगती है
शायरी मेरी सब रंज़ोगम माँगती है ।
तुम कह रहे हो भूल जाऊँ मैं तुम्हें
तन्हाई तेरी यादें ,ए सनम मांगती है ।
सफर में तो हूँ मंजिल मिले ना मिले
राहें मेरी मुझ से कदम मांगती है ।
संवर तो जाएं शामे मेरी भी यारों
वक्त उनसे ज़रा नजरें करम मांगती है ।
खुश रहना चाहता हूँ गर मै जीवन में
जिंदगी जीने का कोई भरम मांगती हैं ।