मस्ती-ए-यायावरी 

 

ता़रात सफर चले,  स्वप्न अधखूली पलक में जल गये
पैर के छालों सेआंखों को मिला है सुरूर--काजल

कौन जानेमेरी चुभन से कांटे हुए भी होंगे लहुलुहान
करता है तो कर नजर मेरा जज्बा लहकते आंचल

मंजिल करे तलाश मेरीरुह दिलकश रास्ते पर राब्ता
और रियाज़ कर मेरी राह बांधने को खनकती पायल

चला हूं निलाम होकरसमंदर से अब प्यास  बूझेगी
बरसने की गुजारिश लेकरता रहा मिन्नतें इक बादल

रास्ते तो हैं हैरांदेख मेरा मोहब्बत--सफर का जूनूं
 खुदा,  इक रोज ये मंजिलें भी होगी मेरी ही कायल

भटकने की सौदाई जिजीविषा संग सफ़र--जुस्तजू
मस्ती--यायावरी” को फकीर जिये कि जिये पागल


तारीख: 22.07.2019                                    उत्तम दिनोदिया




रचना शेयर करिये :




नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है