सुना है कि आप लड़ते बहुत हैं
शायद बातचीत से डरते बहुत हैं
मन्दिर-मस्जिद की आड़ लेकर
मासूमों पर जुल्म करते बहुत हैं
देशभक्त आपके अलावे और भी हैं
ऐसा कहें तो आप बिगड़ते बहुत हैं
रस्मों-रिवाज़ की नसें काट कर
आप चन्दन रोज रगड़ते बहुत हैं
जो कलंक मिट गई थी इस माटी से
आप उस जात-पात पे अकड़ते बहुत हैं
कोई जो पूछ ले समृद्ध इतिहास आपका
फिर अपनी हर बात से मुकरते बहुत हैं