वर्तमान भारत

आँखों में है दो तस्वीरें मेरे वर्तमान भारत की 
इक तरफ़ है नजरें,इनायत इक पे हिकारत की ।

भूख ,गरीबी ,झोपड़पट्टी बेबस ओ लाचारी है 
दूजे तरफ़ है देखिये मॉल मस्ती व तिज़ारत की ।

लुटती अस्मत,पिटती जनता,और झूठे वादे है 
ढाते जुल्म वही है जो खाते कसम हिफाजत की ।

लेकर कर्ज करोडों का ऐश करते हैं बिदेशों मे
जान गवांनी पड़ रही हैं जिन्होंने शराफ़त की ।

नाम बदलने से क्या नजरिया बदल जायेगा ?
इक हमाम मे सब नंगे हैं रहनुमा सियासत की।


तारीख: 18.07.2019                                    अजय प्रसाद




रचना शेयर करिये :




नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है