नीले अंबर में

नीले अंबर में
तारों के-
बंदनवार लगे!

आज चाँदनी का
देखने-
हमें मिला है रूप!
हैं गधे के
सींग से गायब
अंधकार के कूप!!

रात ढली तो
उजला उजला
सा भिन्सार लगे!

बाज नोचते
संविधान की
सड़ी सड़ाई लाश!
आफत चाहे
गले पड़ी हो
उनका है अवकाश!!

नेता जी के
स्वागत में
फूलों का हार लगे!

बंजर धरती
उगा न पाए
दुधिया खुशहाली!
बाँट रही हो
सोना जैसे
गेहूं की बाली!!

खिले हुए
फूलों का
अलि को अभिसार लगे!


तारीख: 05.03.2024                                    अविनाश ब्यौहार









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