बड़े सुहाने लगते हैं

बड़े सुहाने लगते हैं
मेघ भरे
पावस के दिन!

झरने कल कल
करते औ
नदिया में उफान!
है बारिश में
जमकर इठलाती
खेतों में धान!!

जगह-जगह 
फैला है कीचड़
और आ रही घिन!

लुका छिपी का
घटा से खेल खेलता
है दिनमान!
छत, आँगन, मुंडेरों को
मेघ करें
वर्षा का दान!!

रहना है अब
एक एक हफ्ते तक
सूरज के बिन!

काले-काले 
आबनूस सा
उमड़ रहे हैं बादल!
कजरी गाने 
बैठ गए हैं
मानो ढोलक-मादल!!

धीरे-धीरे ऐसी ऋतु में
चूल्हे में
सुलगेगी अगिन!


तारीख: 20.02.2024                                    अविनाश ब्यौहार









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