देश घिरा
समस्याओं से
यक्ष प्रश्न है।
हैं मूल्यों के
यहाँ उड़ते
परखच्चे।
दिमागी गुलामी
झेलते हैं
सच्चे।।
मायने गबन के
बरबादी का
जश्न है।
कर्मचारी ज्यों
पंगु से
हो गए हैं।
खुरचन पानी
आदत में
बो गए हैं।।
इसलिए
ऊँट के मुंह में
जीरा वस्न है।